5 SIMPLE STATEMENTS ABOUT HINDI KAHANIYAN EXPLAINED

5 Simple Statements About hindi kahaniyan Explained

5 Simple Statements About hindi kahaniyan Explained

Blog Article

hindi kahani for kids

विचित्र हथियार भाग १ बच्चो! बात बहुत पुरानी नहीं है। रजतपुर नाम का एक राज्य था। उसका राजा रजपति था। रजपति बड़ा ही धर्मात्मा और प्रजा-पालक था। उसके राज्य में सुख की वर्षा हो रही‌ थी। कोई भूखा-प्यासा ...

गाड़ी आने के समय से बहुत पहले ही महेंद्र स्टेशन पर जा पहुँचा था। गाड़ी के पहुँचने का ठीक समय मालूम न हो, यह बात नहीं कही जा सकती। जिस छोटे शहर में वह आया हुआ था, वहाँ से जल्दी भागने के लिए वह ऐसा उत्सुक हो उठा था कि जान-बूझ कर भी अज्ञात मन से शायद किसी इलाचंद्र जोशी

ग्रामों को भी अपने आँचल में समेट लिया है। आज का कहानी कार भी जिससे वंचित नहीं

विघटन इत्यादि का वर्णन विस्तार से हुआ है। निर्मल वर्मा के पराये शहर में' 'अन्तर' 'परिन्दे', 'लवर्स', 'लन्दन की रात', मोहन राकेश की 'वासना की छाया', 'काला रोजगार', मिस्टर भाटिया 'मलवे का मालिक', राजेन्द्र यादव

ज्ञानरंजन, धर्मेन्द्र गुप्त, इब्राहिम शरीफ, विश्वेश्वर, भीमसेन त्यागी, अमर कान्त, रतीलाल शाहनी, कुष्ण बलदेव वैद, विपिन अग्रवाल

भण्डारी, फणीश्वर नाथ रेणु, कमल जोशी, उषा प्रियंवदा

कहानी में नये प्रकार के बिम्ब विधान, नयी भाषा शैली, नये उपमान और नये मुहावरे आदि में विशेषता परिलक्षित होती

मुख्य कहानीकारों की साहित्य सेवा का आंकलन करने के लिए साहित्य के इतिहासकारों ने

क्रियाशील मानव की भाँति प्रतीत हो। वह उसके द्वारा ऐसे कार्य नहीं करा सकता जो

चार ब्राह्मण और शेर : पंचतंत्र की कहानी

इलाचन्द्र जोशी फ्राइड के मनोविश्लेषण सिद्धान्त को साथ लेकर चलने वाले लेखक हैं।

वह कौन-सा मनुष्य है जिसने महा-प्रतापी राजा भोज महाराज का नाम न सुना हो! उसकी महिमा और कीर्ति तो सारे जगत् में व्याप रही है, और बड़े-बड़े महिपाल उसका नाम सुनते ही काँप उठते थे और बड़े-बड़े भूपति उसके पाँव पर अपना सिर नवाते। सेना उसकी समुद्र की तरंगों राजा शिवप्रसाद सितारे हिंद

चिट्ठी-डाकिए ने दरवाज़े पर दस्तक दी तो नन्हों सहुआइन ने दाल की बटली पर यों कलछी मारी जैसे सारा कसूर बटुली का ही है। हल्दी से रँगे हाथ में कलछी पकड़े वे रसोई से बाहर आई और ग़ुस्से के मारे जली-भुनी, दो का एक डग मारती ड्योढ़ी के पास पहुँची। “कौन है रे!” शिवप्रसाद सिंह

उद्भव व विकास ,हिन्दी के प्रमुख कहानीकार और कहानियाँ 

Report this page